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अगर कोई आपसे कहे कि इस दुनिया में एक जीव ऐसा भी है, जो है। कभी नहीं मरता तो विश्वास नहीं होता। अमरता का यह रहस्य समुद्र की गहराइयों में तैर रहीं जेलीफिश के रूप में समझा जा सकता है।. कहते हैं कि जेलीफिश की 2000 से ज्यादा प्रजातियां हैं। उनमें से एक है 'टूरिटॉपसिस डॉन'। इस प्रजाति का जन्म प्रशांत महासागर में हुआ था और अब ये लगभग सभी सागरों में पाई जाती हैं। इनके बारे में प्रसिद्ध है कि बायोलॉजिकली ये कभी नहीं मरती।इस कारण इन्हें 'इम्मोर्टल जेलीफिश' यानी अमर भी कहते हैं। ये आकार में बहुत छोटी और पारदर्शी होती हैं। इनके शरीर की लंबाई और चौड़ाई भी बराबर होती विशेषज्ञों के अनुसार, अपनी लाइफ साइकिल पूरी करने के बाद इनका शरीर समुद्र की तलहटी में चला जाता है और धीरे-धीरे सड़ने लगता है।
फिर आश्चर्यजनक रूप से इनकी कोशिकाएं इकट्ठा होती हैं और एक नई जेलीफिश निकलती है। इस तरह जेलीफिश पिछले जीवन को छोड़कर नए सिरे से दोबारा जीवन शुरू करती हैं। उनके नए शरीर की कोशिकाएं पहले से अलग होती हैं और वे नई शारीरिक संरचना का निर्माण करती हैं। जेलीफिश यह प्रक्रिया बार-बार दोहरा सकती हैं। जेलीफिश समुद्र की इतनी गहराई में रहती हैं, जहां पर रोशनी तक नहीं पहुंचती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जेलीफिश में दिमाग नहीं होता है। कुछ का मानना है कि, ये डायनासोर के काल से ही धरती पर हैं। लेकिन इनके अस्तित्व का सही अंदाजा लगाने के लिए कई सारे वैज्ञानिक आज भी खोज भी कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों की मानें तो जेलीफिश और इंसान की अमरता की खोज के बीच फिलहाल कोई संबंध नहीं है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि भविष्य में इसकी संभावना को नकारा भी नहीं जा सकता। ज्यादातर जेलीफिश की उम्र तय होती है। कुछ घंटों जिंदा रहती हैं या कुछ महीनों तक।
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