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भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने अभी थोड़ी देर पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और अन्य वरिष्ठ नेताओं के समक्ष कांग्रेस प्रवेश कर लिया है। छत्तीसगढ़ भाजपा में अभी जबरदस्त भगदड़ होगी.कई नेता भाजपा की रीति-नीति से परेशान हो चुके हैं और इस्तीफा जेब में लेकर घूम रहे हैं। भाजपा के उदारवादी नेता अपनी उपेक्षा से परेशान तो है ही, उन्हें सबसे सबसे ज्यादा दिक्कत इस बात को लेकर भी है कि शांति का टापू कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में भाजपा हिन्दू-मुस्लिम का खेल कर रही है और नफ़रत की राजनीति को बढ़ावा देने में लगी है। अच्छे नेता नफ़रती गैंग से दूरी बनाने लगे हैं।
ये निर्णय जीवन का बहुत कठिन निर्णय है। जनसंघ के समय से मैं और मेरे परिवार के लोग बीजेपी में रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं। अटल बिहारी बाजपेयी को फॉलो करता था। अटल,आडवानी की जो पार्टी थी। वो पार्टी अब उस रूप में नहीं है। परिस्थितियां बदल चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में छोटे गांव और कस्बे थे। भूपेश सरकार के काम पर मैंने स्टडी की है। छोटे गांव और कस्बे शहर बन गए।
हम कहते थे देशभर का नाता है, गौ हमारी माता है। लेकिन सीएम भूपेश बघेल ने इसे एक नया स्वरूप दिया है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना जनता के लिए कारगर साबित हुई है। मुझे अच्छा लगा भूपेश सरकार ने राम वनगमन पथ को बनाया। आज की तारीख में मैं बीजेपी में किसी पद पर नहीं था। मैं एक सामान्य कार्यकर्ता था। भले ही पार्टी में पद नहीं मिलता, लेकिन काम कैसे किया जा सकता है। ये तो पूछा जा सकता था। भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस अच्छा काम कर रही है। दल महत्व नहीं है, आम जनता से लिए काम करना है। मिलकर काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ अच्छा होगा।
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